वॉटरफॉल मॉडल: सॉफ़्टवेयर विकास जीवन चक्र
वॉटरफॉल मॉडल सॉफ़्टवेयर विकास जीवन चक्र (SDLC) का एक रैखिक और अनुक्रमिक दृष्टिकोण है। इस मॉडल में प्रत्येक चरण को पूर्वनिर्धारित क्रम में पूरा किया जाता है, और एक चरण का आउटपुट अगले चरण का इनपुट बनता है। इसे सबसे पहले 1970 में विंस्टन रॉयस द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
वॉटरफॉल मॉडल के चरण
वॉटरफॉल मॉडल में निम्नलिखित प्रमुख चरण होते हैं:
- आवश्यकता विश्लेषण (Requirement Analysis): इस चरण में उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं को एकत्रित किया जाता है और उन्हें एक दस्तावेज़ (SRS) में संकलित किया जाता है।
- सिस्टम डिज़ाइन (System Design): इस चरण में आवश्यकताओं के आधार पर सॉफ़्टवेयर की संरचना और आर्किटेक्चर तैयार किया जाता है।
- कोडिंग (Coding): डिज़ाइन के आधार पर सॉफ़्टवेयर का वास्तविक कोड लिखा जाता है।
- परीक्षण (Testing): विकसित सॉफ़्टवेयर की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न परीक्षण किए जाते हैं।
- परिनियोजन (Deployment): परीक्षण के बाद सॉफ़्टवेयर को उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध कराया जाता है।
- रखरखाव (Maintenance): उपयोग के दौरान उत्पन्न समस्याओं का समाधान और आवश्यकतानुसार अपडेट प्रदान किया जाता है।
वॉटरफॉल मॉडल के लाभ
- सरलता: यह मॉडल समझने और लागू करने में सरल है।
- स्पष्टता: प्रत्येक चरण स्पष्ट रूप से परिभाषित होता है, जिससे प्रगति की निगरानी करना आसान होता है।
- दस्तावेज़ीकरण: प्रत्येक चरण का विस्तृत दस्तावेज़ीकरण होता है, जो भविष्य में संदर्भ के लिए उपयोगी होता है।
- उपयुक्तता: छोटे और स्पष्ट आवश्यकताओं वाली परियोजनाओं के लिए उपयुक्त है।
वॉटरफॉल मॉडल के नुकसान
- लचीलापन की कमी: आवश्यकताओं में परिवर्तन को समायोजित करना कठिन होता है।
- देर से परीक्षण: परीक्षण अंतिम चरण में होता है, जिससे त्रुटियों का पता देर से चलता है।
- जोखिम प्रबंधन: जोखिमों का मूल्यांकन और प्रबंधन प्रारंभिक चरणों में नहीं किया जाता।
- उपयुक्तता: बड़े और जटिल परियोजनाओं के लिए उपयुक्त नहीं है।
वॉटरफॉल मॉडल का उपयोग कब करें?
- जब आवश्यकताएँ स्पष्ट और स्थिर हों।
- जब परियोजना छोटी और कम जटिल हो।
- जब तकनीकी वातावरण स्थिर हो।
- जब ग्राहक से लगातार प्रतिक्रिया प्राप्त करना आवश्यक न हो।
निष्कर्ष
वॉटरफॉल मॉडल सॉफ़्टवेयर विकास की एक पारंपरिक और संरचित प्रक्रिया है। हालांकि इसके कुछ सीमाएँ हैं, यह छोटे और स्पष्ट आवश्यकताओं वाली परियोजनाओं के लिए एक उपयुक्त विकल्प हो सकता है। परियोजना की प्रकृति और आवश्यकताओं के आधार पर, वॉटरफॉल मॉडल का चयन किया जा सकता है।